हिन्दू शब्द अरबी लुटेरो का दिया हुआ नहीं है ।
जब भी हिन्दू शब्द की चर्चा होती है तो कथित
बुद्धिजीवी यही कहता है कि ''सिंधु से हिन्दू'' हुआ ,
अरबी लुटेरे ''स'' हो ''ह'' कहते थे इस लिए सिंधु
को हिन्दू कहने लगे ।
दरअसल अरबी लुटेरो ने जब सिंधु नदी को पार किया तो इसे ''सिंधुस्तान'' कहा जो उच्चारण में ''हिन्दुस्तान''
हो गया जबकि ये गलत है ।
हिन्दू शब्द का उल्लेख वेद और पुराणो में पहले से
ही मौजूद है ।
1-ऋग्वेद के बृहस्पति आगम में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया है......
"हिमालयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।
अर्थात्
हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश
को हिंदुस्तान कहते हैं.
2- सिर्फ वेद ही नहीं......बल्कि..मेरुतंत्र ( शैव
ग्रन्थ ) में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार
किया गया है.....
"हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।"
अर्थात्
जो अज्ञानता और हीनता का त्याग
करे उसे हिन्दू कहते हैं.
3- और इससे मिलता जुलता लगभग यही श्लोक
कल्पद्रुम में भी दोहराया गया है.......
" हीनं दुष्यति इति हिन्दू ।"
अर्थात्
जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे
उसे हिन्दू कहते है।
4- पारिजात हरण में हिन्दू को कुछ इस प्रकार
कहा गया है....
" हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं ।
हेतिभिः शत्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते ।।"
अर्थात्
जो अपने तप से शत्रुओं का दुष्टों का और
पाप का नाश कर देता है वही हिन्दू है.
5- माधव दिग्विजय में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस
प्रकार उल्लेखित किया गया है........
"ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।
गौभक्तो भारतगरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।।
अर्थात्.
वो जो ओमकार को ईश्वरीय धुन माने
कर्मों पर विश्वास करे, गौपालक रहे तथा बुराइयों को दूर रखे वो हिन्दू है.
6- केवल इतना ही नहीं हमारे ऋग्वेद ( ८:२:४१ ) में
विवहिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और
दानी राजा का वर्णन मिलता है जिन्होंने 46,000
गौमाता दान में दी थी.
और ऋग्वेद मंडल में भी उनका वर्णन मिलता है।
7- ऋग् वेद में एक ऋषि का उल्लेख मिलता है
जिनका नाम सैन्धव था जो मध्यकाल में आगे चलकर
"हैन्दव/हिन्दव" नाम से प्रचलित हुए ... जिसका बाद
में अपभ्रंश होकर हिन्दू बन गया।
उपर्युक्त विवेचना से हिन्दू शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में समस्त भ्रांतियों का निराकरण हो जाता है.
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